पल की किताब को कुछ हिस्सों में बाट ले
कुछ हमारे कुछ तुम्हारे
एक जिद्द की आस
कुछ खिची लकीर
तुम तो खाबो को छुकर लौटे थे
फिर भी कहते हो खुद को फ़कीर
एक चीनी से मीठे दर्द के लिए
एक पत्थर पे लिखे नज़्म के लिए
हमने बना ली यह तस्वीर
उतनी ही झूठी जितनी तुम्हारे आने की उम्मीद
उतनी ही सच्ची जितनी तुम्हारे आने की उम्मीद
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