वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते हैं
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है
होठों पर बैठीं रहती है शराब हमेशा
उधार की नज्मों में चस्का लेते है
कुछ पुराने कुछ नए शायरों की
कुछ ग़मगीन कुछ शौक़ीन
रोज़ युही इश्क में पड़ते रहते है
लड़ते है झगड़ते है
बस यूँ ही ज़रा मुस्कुरा कर
पेशानी पे कुछ हलके से बल लाकर
दिल को बाजू पर अटका कर
वोह रोज़ घर से निकलते है
बस पूछों मत
वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते है
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है
होठों पर बैठीं रहती है शराब हमेशा
उधार की नज्मों में चस्का लेते है
कुछ पुराने कुछ नए शायरों की
कुछ ग़मगीन कुछ शौक़ीन
रोज़ युही इश्क में पड़ते रहते है
लड़ते है झगड़ते है
बस यूँ ही ज़रा मुस्कुरा कर
पेशानी पे कुछ हलके से बल लाकर
दिल को बाजू पर अटका कर
वोह रोज़ घर से निकलते है
बस पूछों मत
वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते है
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है
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