Nov 21, 2011

हर एक कश में

हर एक कश में
एक ज़िम्मा रखा था
ज़िन्दगी बहाने का
फ़िक्र आज़माने का
लम्हे बिखरे
एक फ़कीर की फरियाद की तरह
शाम की विरासत
रात ने लूटा दी
वोह पानी की तरह बही
आँखों में
मेरी, तुम्हारी
अब कश लम्बा हो चला
कुछ पल मेरे होठों पे रुका
तुम्हारी नज़र की तरह
अब वोह भी उड़ गया
खुले आकाश में
जो बादल से बंधा था
अब रात नहीं
कश भी नहीं
तुम भी नहीं
तुम्हारी याद?
खैर
हर एक कश में
एक ज़िम्मा रखा था

1 comment:

Sohini said...

I'm speechless..

"शाम की विरासत
रात ने लूटा दी
वोह पानी की तरह बही
आँखों में
मेरी, तुम्हारी".. simply wow!!

Ab toh zindagi ne ek aisa mod liya hai, jahan har khwab, har fariyaad aur sunheri yaadein .. nayanjal bankar behti hain..