Dec 17, 2012

ये सड़क और कहा जाती है

घर तक तो आती है
ये सड़क और कहा जाती है

कुछ उधार के नुक्कड़ो तक
कुछ सिगरेट बीड़ी के धुए तक
कुछ सिमटे बेघरो की तरफ़
थोड़ी दिलचस्प कहानियों तक
घर तक तो आती है
ये सड़क और कहा जाती है

टूटे पत्तो से भरी हुई
बारिशों में उल्झी हुई
मुरझाये दिलों से गली हुई
घर तक तो आती है
ये सड़क और कहा जाती है

तुम भी तो इस सड़क से आये होंगे
वोह कुछ तो बौखलाई होगी
शायद थोडा शरमाई भी होगी
कुछ तो  तुम्हारे कानो में कहा होगा
क्या तुमने भी सोचा कभी
घर तक तो आती है
ये सड़क और कहा जाती है




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