Sep 15, 2012

वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते हैं

वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते हैं
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है

होठों पर बैठीं रहती है शराब हमेशा
उधार की नज्मों में चस्का लेते है
कुछ पुराने कुछ नए शायरों की
कुछ ग़मगीन कुछ शौक़ीन

रोज़ युही इश्क में पड़ते रहते है
लड़ते है झगड़ते है
बस यूँ ही ज़रा मुस्कुरा कर
पेशानी पे कुछ हलके से बल लाकर 
दिल को बाजू पर अटका कर
वोह रोज़ घर से निकलते है

बस पूछों मत
वोह तो बस फ़िज़ूल बातें करते है
इधर उधर के किस्से सुना कर
तालियों की गूँज पीते रहते है

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